THE 5-SECOND TRICK FOR HINDI KAHANI

The 5-Second Trick For hindi kahani

The 5-Second Trick For hindi kahani

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hindi kahani

बंगला] में इसे गल्पों कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। परंपरागत रूप से दादी और नानियाँ कहानी सुनाया करती थी।

हाथ पैर काबू से बाहर हो गए थे, अर्थात ना चाहते हुए भी हाथ पैर हिलना, धुंधला दिखना आदि।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

शांति ने ऊबकर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।

दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :

उन सभी छल और कपट करने वाले दोस्तों को छोड़कर अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाया। नतीजा यह हुआ कि साल भर की मेहनत से वह परीक्षा में सफल ही नहीं अपितु विद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। इस पर उसके माता-पिता को बहुत खुशी हुई है और अपने पुत्र श्याम को गले से लगाया उन्हें शाबाशी दी।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।

वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.

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इसे अभी कोई बड़ा पैराडाइम शिफ़्ट तो नहीं कह सकते, लेकिन किसी नए कथा-प्रस्थान की आहट ज़रूर सुनी जा सकती है.

राम अपने भाई श्याम को उन दोस्तों से बचने के लिए कहा करता, मगर श्याम उसे डांट लगा देता और कहता अपने काम से काम रखा करो। श्याम के दोस्त घर से स्कूल जाने के लिए निकलते और रास्ते में कहीं और चले जाते।

किंतु जैसे ही मछुआरा जाल समेटने के लिए आगे बढ़ा तो समझदार मछली ने मरे हुए होने का झूठा स्वांग, नाटक किया। मछुआरे ने मरा हुआ समझकर उस मछली को निकालकर फेंक दिया। वह मछली अपनी समझदारी का प्रयोग करते हुए उछलकर नदी में भाग गई, किंतु जो आलसी मछली थी वह जाल में पड़ी रही। मछुआरों ने उसे ले जाकर बाजार में बेच दिया इस प्रकार उसके प्राण निकल गए। अतः बुद्धि का प्रयोग अवश्य करना चाहिए बुद्धि का प्रयोग करके ही हम विकट परिस्थितियों में बच सकते हैं।

श्याम को पता चल गया था कि जैसी संगति मिलेगी वैसा ही परिणा मिलेगा।

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